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सीएम भगवंत मान ने यूनिफार्म सिविल कोड पर उठाए सवाल, बोले-हमारा देश एक गुलदस्ते की तरह, क्यों उसे खराब कर रहे हो…जानें क्या है ये कोड, जिस पर छिड़ा है विवाद, पढ़ें

चंडीगढ़, (PNL) : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सीधे तौर पर यूनिफार्म सिविल कोड यानि समान नागरिक संहिता को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. मान ने आज चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि, हमारा देश एक गुलदस्ते की तरह है, गुलदस्ते में हर रंग के फूल हैं और हर रंग की एक अलग संस्कृति है। मान ने बीजेपी से पूछा कि आप चाहते हैं कि गुलदस्ता एक ही रंग का हो, इसकी इजाजत नहीं होगी. हर रंग की अपनी संस्कृति है, सबके अपने रीति-रिवाज हैं, सबसे बात करें, सहमति लें, फिर विचार करें कि इस कोड को लागू करना है या नहीं। मान ने बीजेपी से सवाल पूछा कि बताओ हर धर्म के रीति-रिवाज आपको क्या कहते हैं? ये बीजेपी पता नहीं धर्म के मुद्दे क्यों उठा रही है?

इसके साथ ही सीएम ने कहा कि संविधान कहता है कि जब सभी समाज एक समान हो जाएं तो ऐसे कोड लागू करें. उन्होंने सवाल पूछा कि क्या हम सामाजिक तौर पर बराबर हो गये हैं? अभी भी बहुत से दलित लोग हैं जिन्हें पढ़ने का समय नहीं मिलता, अर्थव्यवस्था के कारण किसी को काम करने का समय नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति अच्छी सोच और वैज्ञानिक पद्धति से ही हो सकती है। उन्होंने कहा कि ये बीजेपी का एजेंडा है. बीजेपी वोट के लिए धर्म का नाम लेती है, आम आदमी पार्टी एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है.

जानें क्या है समान नागरिक संहिता?

समान नागरिक संहिता दरअसल एक देश एक कानून की विचारधार पर आधारित है। यूसीसी के अंतर्गत देश के सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक ही कानून लागू किए जाना है। समान नागरिक संहिता यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड में संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन, विवाह, तलाक और गोद लेना आदि को लेकर सभी के लिए एकसमान कानून बनाया जाना है।

भारतीय संविधान के मुताबिक भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है, जिसमें सभी धर्मों व संप्रदायों (जैसे – हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, आदि) को मानने वालों को अपने-अपने धर्म से सम्बन्धित कानून बनाने का अधिकार है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता शत्रुघ्न सोनवाल के अनुसार, “भारत में दो प्रकार के पर्सनल लॉ हैं। पहला है हिंदू मैरिज एक्ट 1956; जो कि हिंदू, सिख, जैन व अन्य संप्रदायों पर लागू होता है। दूसरा, मुस्लिम धर्म को मानने वालों के लिए लागू होने वाला मुस्लिम पर्सनल लॉ। ऐसे में जबकि मुस्लिमों को छोड़कर अन्य सभी धर्मों व संप्रदायों के लिए भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत बनाया गया हिंदू मैरिज एक्ट 1956 लागू है तो मुस्लिम धर्म के लिए भी समान कानून लागू होने की बात की जा रही है।”

Uniform Civil Code (UCC): किन-किन देशों में है समान नागरिक संहिता?

समान नागरिक संहिता का पालन कई देशों में होता है। इन देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र, अमेरिका, आयरलैंड, आदि शामिल हैं। इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए एकसमान कानून है और किसी धर्म या समुदाय विशेष के लिए अलग कानून नहीं हैं।

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