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समय का फेर : एक साल पहले हराने के लिए और अब रिंकू को जिताने के लिए पूरा जोर लगा रहे शीतल अंगुराल, ऐसा क्या हुआ कि दोनों की दुश्मनी दोस्ती में बदली, पढ़ें पूरी स्टोरी

संदीप साही

जालंधर, (PNL) : कैसी काया-कैसी माया, वक़्त जो बदला-बदला साया, परिवर्तन के इस फेर-बदल में, कण-कण बदला-जन-जन बदला। जालंधर की सियासत में दो बड़े दुश्मन सुशील कुमार रिंकू और शीतल अंगुराल। आखिर ऐसा क्या हुआ कि दोनों की दुश्मनी दोस्ती में बदल गई और दोनों एक होकर पार्टी भी छोड़ गए और नई पार्टी ज्वाइन भी कर गए। समय का ऐसा क्या फेर चला कि जिस रिंकू को हराने के लिए शीतल अंगुराल ने एक साल पहले अंदरखाते पूरा जोर लगाया था, आज उसी रिंकू को जिताने के लिए सरेआम जोर लगा रहे हैं। आइए आपको बताते हैं कि आखिर कैसे बदले इनके रिश्तों के समीकरण।

वेस्ट से विधायक शीतल अंगुराल पहले भारतीय जनता पार्टी में होते थे। 2007 से लेकर 2017 तक बीजेपी की अकाली दल के साथ गठबंधन में सरकार रही। तब शीतल कैबिनेट मंत्री चूनी लाल भगत के बेहद करीबी थे, लेकिन इसी बीच वह तब के केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला के नजदीकियों में आ गए। 10 साल तक शीतल ने वेस्ट में अपना दबदबा रखा। सुशील रिंकू तब कांग्रेसी पार्षद थे। इनकी दुश्मनी लंबे समय से चली आ रही थी।

2017 में कांग्रेस की सरकार आ गई और सुशील रिंकू वेस्ट से विधायक बन गए। करीब पांच साल के दौरान शीतल, उनके भाई राजन और समर्थकों पर कई केस दर्ज हुए। शीतल ने सभी केसों का आरोप रिंकू पर ही लगाया था कि विधायक के दबाव में पर्चे दर्ज हुए। 2022 के चुनाव में शीतल ने बीजेपी का दामन छोड़कर आप ज्वाइन कर ली। आप ने उन्हें वेस्ट से टिकट दी और शीतल रिंकू को हराकर विधायक बन गए। करीब सवा साल तक शीतल की आम आदमी पार्टी में सैटिंग बढ़िया रही।

फिर एक दिन जालंधर के मौजूदा सांसद संतोख सिंह चौधरी का निधन हो गया और उप-चुनाव में रिंकू ने आप ज्वाइन कर ली। शीतल इस बात को लेकर काफी खफा हुए, लेकिन पार्टी के आगे वह कुछ नहीं कर सकते थे। शीतल रिंकू के साथ सरेआम तो चल रहे थे, मगर रिंकू को हराने के लिए शीतल ने अंदरखाते पूरा जोर लगाया। इस बात की रिपोर्ट पार्टी को भी हो गई। उसके बाद शीतल के सबसे पहले सिक्योरिटी घटा दी गई। करीब दो महीने तक रिंकू की पार्टी में पकड़ मजबूत हो गई। इन दोनों की बोलचाल कम ही थी।

साल 2024 में रिंकू और शीतल के बीच बातचीत शुरू होने लगी। रिंकू और शीतल को अफरशाही बेवकूफ बना रही थी। शीतल कोई काम कहते तो अफसर ये कहकर टाल देते कि रिंकू ने मना किया हुआ है और जब रिंकू कोई काम कहते तो अफसर शीतल का नाम ले देते। ये सिलसिला काफी देर तक चलता रहा। फिर एक दिन दोनों साथ बैठे और अफसरों को फोन लगा लिया। वह दोनों हैरान तब हुए, जब इन्हें पता चल गया कि अफसरशाही इनकी दुश्मनी का फायदा उठा रही। इसी तरह वेस्ट हलके के लोग भी इनके साथ डबल स्टैंडर्ड चल रहे थे।

उसके बाद दोनों ने आपसी दूरियां खत्म कर ली। ये दोनों ही पार्टी से नाराज चल रहे थे, जिसके चलते दोनों ने एक साथ पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए। शहर के लोगों के लिए दोनों का एक साथ पार्टी छोड़ना हैरान करने वाला था। दोनों को बीजेपी ने चुनाव के बाद बड़े पद देने का वादा किया है। अब फिलहाल दोनों भाजपा में है। रिंकू को पार्टी ने जालंधर से टिकट दी है। शीतल रिंकू को जिताने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। दोनों में संधि इस बात को लेकर भी हुई है कि वेस्ट के उप-चुनाव में रिंकू भी शीतल की पूरी मदद करेंगे। फिलहाल अभी शीतल का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। अब देखना होगा कि रिंकू क्या जालंधर सीट से बाजी मार सकेंगे।

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