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एनएचएस अस्पताल : जालंधर का पहला चौबीसों घंटे अधरंग के लिए तैयार अस्पताल, आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ

जालंधर, (PNL) : अधरंग के मामले में हर सेकंड बहुत कीमती होता है। पूरी दुनिया में अधरंग मौत और अपंगता ( चल पाना/ बोल पाना) का एक बड़ा कारण है। हरसाल लाखों लोग इसकी चपेट में आते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि अगरअधरंग के बाद शुरुआती कुछ घंटों में सही जांच और इलाज मिल जाए, तोमरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। देर होने पर जिंदगी भर की बीमारी याअपंगता हो सकती है।

इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए एन.एच.एस अस्पताल ने खुद को पूरी तरहअधरंग के लिए तैयार अस्पताल के रूप में तैयार किया है। यहाँ आधुनिकमशीनें, एडवांस न्यूरोइमेजिंग (सीटी स्कैन / एम.आर.आई.) और चौबीसघंटे, 7 दिन उपलब्ध माहिॉक्टरों की टीम मौजूद है।

इस पहल के केंद्र में हैं डॉ. संदीप गोयल (डायरेक्टर और सीनियरन्यूरोलॉजिस्ट, डीएम न्यूरोलॉजी), जिनके पास 20 से अधिक साल काअनुभव है। उनके साथ डॉ. नवीन चितकारा (एम.सीएच. न्यूरोसर्जरी) भी जुड़ेहैं। दोनों की टीम अधरंग मरीजों को एक ही जगह पर पूरा इलाज औरदेखभाल उपलब्ध कराती है।

अधरंग के लिए तुरंत इलाज क्यों जरूरी है?

अधरंग तब होता है जब दिमाग में खून की सप्लाई रुक जाती है या कम होजाती है। इससे दिमाग को ऑक्सीजन और पोषण मिलना बंद हो जाता हैऔर दिमाग की कोशिकाएँ कुछ ही मिनटों में मरने लगती हैं। रिसर्च बताती हैकि इलाज में हर एक मिनट की देरी से लगभग 20 लाख दिमागी कोशिकाएँनष्ट हो जाती हैं। इसलिए कहा जाता है – “टाइम इज़ ब्रेन” (समय ही दिमागहै).

दुर्भाग्य से, कई अस्पतालों में सही जांच और इलाज में देर हो जाती हैक्योंकि उनके पास सीटी स्कैन या एम.आर.आई. जैसी सुविधाएँ हर समयउपलब्ध नहीं रहतीं। एन.एच.एस अस्पताल ने इस समस्या का हल निकालतेहुए एक इंटीग्रेटेड अधरंग केयर सिस्टम तैयार किया है, जिससे बिना देरी केतुरंत इलाज शुरू किया जा सके।

अत्याधुनिक इमरजेंसी सुविधाएँ

एन.एच.एस अस्पताल का इमरजेंसी विभाग सीटी स्कैन और एम.आर.आईैसी आधुनिक सुविधाओं से लैस है। इससे अधरंग का पता मरीज केपहुँचते ही कुछ ही मिनटों में लगाया जा सकता है। यह सबसे बड़ी ताकत है, क्योंकि मरीज को अलगअलग विभागों में भेजने या बाहर जांच कराने कीज़रूरत नहीं पड़ती। पूरा काम तुरंत और आसानी से हो जाता है।

डॉ. संदीप गोयल (डीएम न्यूरोलॉजी) कहते हैं

अधरंग के इलाज में हर सेकंड मायने रखता है। इमरजेंसी विभाग में ही सीटी स्कैन और एम.आर.आई करने की सुविधा होने से हम समय बिल्कुल बर्बादनहीं करते। जितनी जल्दी जांच होगी, उतनी जल्दी इलाज शुरू होगा औरमरीज के ठीक होने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी।

यह सुविधा इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि इससे तुरंत पता चलता है किअधरंग इस्कीमिक (खून का थक्का जमने से) है या हेमरेजिक (खून बहनेसे) इलाज का पूरा तरीका अधरंग के प्रकार पर ही निर्भर करता है।

50 साल से ज्यादा के सामूहिक अनुभव से सजे एक्सपर्ट्स की टीम

एन.एच.एस अस्पताल की खास अधरंग यूनिट दो जानेमाने डॉक्टरों केनेतृत्व में काम कर रही है:

•​डॉ. संदीप गोयल (डीएम न्यूरोलॉजी, डायरेक्टर और सीनियरन्यूरोलॉजिस्ट) – न्यूरोलॉजी में 25 साल से ज्यादा का अनुभव। अधरंग केइलाज की आधुनिक तरीके इस इलाका में लाने में उनका बड़ा योगदान रहाहै।

•​डॉ. नवीन चितकारा (एमसीएच न्यूरोसर्जरी) – 30 साल से अधिकअनुभव वाले कुशल न्यूरोसर्जन। अपनी सर्जिकल विशेषज्ञता से मरीजों कोजीवनदान देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

ये दोनों डॉक्टर मिलकर अस्पताल की अधरंग लीडरशिप की रीढ़ हैं, जहाँउत्कृष्ट इलाज और आधुनिक तकनीक का बेहतरीन मेल होता है।

अधरंग रेडी टीम

इन मुख्य विशेषज्ञों के साथ एक कुशल और अनुभवी टीम जुड़ी है, जिनकेपास अधरंग मैनेजमेंट की अलगअलग विशेषज्ञता है:

•​डॉ. सुरभि महाजन (डीएम न्यूरोलॉजिस्ट)

•​डॉ. सुधीर सूद (न्यूरोसर्जन)

•​डॉ. राजिंदर (न्यूरोसर्जन)

•​डॉ. रूही और डॉ. जसदीप (रेडियोलॉजिस्ट)

•​डॉ. पूजा, डॉ. जशनप्रीत और डॉ. हरलीन (न्यूरोएनेस्थेटिस्ट्स)

70 साल से ज्यादा के सामूहिक अनुभव के साथ यह मल्टीडिसिप्लिनरी टीमअधरंग मरीजों को हर स्तर पर पूरा इलाज देती है

जांच से लेकर तुरंत इलाज और लंबे समय की रिकवरी तक।

समर्पित अधरंग आईसीयू (ICU)

गंभीर निगरानी और विशेष देखभाल के लिए एन.एच.एस अस्पताल में एकपूरी तरह समर्पित अधरंग आईसीयू बनाया गया है। यहाँ कुशल अधरंग केयर नर्सें और न्यूरोविशेषज्ञ हर समय मौजूद रहते हैं।

यह विभाग लगातार निगरानी, तुरंत इलाज और सावधानीपूर्वक उपचार केबाद देखभाल देने के लिए तैयार है।

अधरंग मरीजों को सिर्फ शुरुआती घंटों में ही नहीं, बल्कि आने वाले दिनों मेंभी गंभीर देखभाल की ज़रूरत होती है। अधरंग आईसीयू यह सुनिश्चितकरता है कि मरीज को बिना रुके विशेषज्ञों की देखभाल मिले, जिससे ठीकहोने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

अधुनिक न्यूरोवेस्कुलर इंटरवेंशनकैथ लैब

इस्कीमिक अधरंग (जहाँ खून का थक्का दिमाग की नसों को ब्लॉक कर देताहै) में, तुरंत थक्का हटाना बेहद जरूरी होता है।

एन.एच.एस अस्पताल ने इसके लिए अत्याधुनिक कैथ लैब तैयार की है, जहाँअधरंग सहायता टीम हमेशा तैयार रहती है।

यहाँ पर निम्नलिखित तरीके अपनाए जाते हैं:

•​मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टॉमीआधुनिक उपकरणों से खून का थक्कानिकालना।

•​एन्यूरिज्म के लिए कॉइलिंगनसों में असामान्य उभार का इलाज।

डॉ. संदीप गोयल (डीएम न्यूरोलॉजी) कहते हैं
हमारी आधुनिक कैथ लैब और टीम का अनुभव हमें दिमाग की नसों केसबसे मुश्किल मामलों को भी तुरंत संभालने में मदद करता है।

इस वजह से एन.एच.एस अस्पताल उन कुछ ही अस्पतालों में शामिल है, जोचौबीसों घंटे अधरंग के लिए विशेष इलाज़ उपलब्ध कराते हैं।

अधरंग का बिना रुकावट इलाज: इमरजेंसी से रिकवरी तक

एन.एच.एस अस्पताल में अधरंग का इलाज शुरुआत से अंत तक एक ही छतके नीचे उपलब्ध है। पूरी इलाज की प्रक्रिया इस तरह से तैयार की गई है:

1. अस्पताल पहुँचते ही तुरंत इमरजेंसी सहायता

2. इमरजेंसी में सीटी/एमआरआई जांच तुरंत।

3. न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन द्वारा मरीज़ की जाँच।

4. मरीज को अधरंग आईसीयू में भर्ती कर लगातार निगरानी और खासदेखभाल देना।

5. जरूरत पड़ने पर कैथ लैब में विशेष इलाज

6. रीकवरी के लिए फिजियोथेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपी और काउंसलिंगजैसी सेवाएँ।

यह संपूर्ण व्यवस्था मरीज और उसके परिवार को हर कदम पर सहारादेती हैसिर्फ संकट की घड़ी में ही नहीं, बल्कि पूरे रिकवरी सफर केदौरान।

एन.एच.एस अस्पता : बेहतरी का केंद्र

एन.एच.एस अस्पताल का न्यूरोलॉजी विभाग सिर्फ अधरंग ही नहीं, बल्किकई तरह की न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज में भी कुशलता के लिएपहचाना गया है।

लेकिन अस्पताल की सबसे बड़ी विशेषता है इसका अधरंग रेडीइंफ्रास्ट्रक्चर, जिसने पंजाब ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भीइमरजेंसी न्यूरोलॉजी के नए उदाहरण तय किए हैं।

अस्पताल का विज़न बिल्कुल साफ है:

समय बचाओ, दिमाग बचाओ, जीवन बचाओ।

और यही मिशन यहाँ की हर सुविधा, हर विशेषज्ञ और लगातार नवाचार(सुधार) में झलकता है।

अधरंग केयर का मानवीय पहलू

तकनीक और विशेषज्ञता से आगे, एन.एच.एस अस्पताल की सबसे बड़ीपहचान है इसकी दर्द समझने वाली और मरीजकेंद्रित सोच। अधरंग मरीजोंके परिवार अक्सर डर और अनिश्चितता से गुजरते हैं। यहाँ का स्टाफ सिर्फइलाज ही नहीं करता, बल्कि भरोसा दिलाने, सही जानकारी देने और हरकदम पर सहारा देने के लिए भी कुशल है।

डॉ. संदीप गोयल (डीएम न्यूरोलॉजी) कहते हैं

हमारा मिशन सिर्फ इलाज करना नहीं है, बल्कि मरीज और उनके परिवारको आत्मविश्वास और उम्मीद देना है, जब वे अपने जीवन के सबसे कठिनसमय से गुजर रहे होते हैं।

जालंधर में स्ट्रोक केयर की नई मिसाल

चौबीसों घंटे अधरंग रेडी अस्पताल बनकर, एन.एच.एस अस्पताल नेजालंधर और आसपास के क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का नया स्तर तय कियाहै।

न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, रेडियोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिस्ट और ुशल अधरंग केयर नर्सों की टीम, आधुनिक इमेजिंग और इंटरवेंशनल तकनीक के साथ, यहाँ हर समय तैयार रहती है।

यह उपलब्धि अस्पताल के उस बड़े मिशन को दर्शाती है

चिकित्सा बेहतरी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर को मिलाकर ऐसा इलाजदेना जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरे।

अंतिम विचार

अधरंग एक ऐसी गंभीर स्थिति है जिसमें समय का हर पल दिमाग के लिएबहुत कीमती होता है। ऐसी हालत में मरीज और उसके परिवार को ऐसेअस्पताल की ज़रूरत होती है, जो सिर्फ तैयार ही नहीं बल्कि पूरी तरह सक्षमहो कि बिना देर किए तुरंत इलाज शुरू कर सके।

एन.एच.एस अस्पताल के न्यूरोकेयर विभा इस जिम्मेदारी को बेहदगंभीरता से लिया है और चौबीसों घंटे अधरंग रेडी विभाग बनाई है, जिसकानेतृत्व न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी के बेहतरीन विशेषज्ञ कर रहे हैं।

तुरंत जांच सीटी स्कैन / एम.आर.आई.) से लेकर अधुनिक न्यूरोवेस्कुलरइंटरवेंशन और चौबीसों घंटे उपलब्ध विशेषज्ञ टीम तक

एन.एच.एस अस्पताल यह सुनिश्चित करता है कि हर मरीज को सुधार कासबसे अच्छा मौका मिले।

न्यूरोलॉजी केयर की सीमाओं को लगातार आगे बढ़ाते हुए, यह अस्पतालआज पूरे इलाके के अधरंग मरीजों के लिए आशा की किरण बन चुका है।

एन.एच.एस अस्पता : समय बचाएँ, दिमाग बचाएँ, जीवन बचाएँ।

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