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भगवंत सिंह मान सरकार द्वारा 119.6 करोड़ रुपये की लागत से पठानकोट-सरहिंद सड़क को फोरलेन बनाने के काम में लाई गई तेजी

चंडीगढ़, (PNL) : लंबे समय से प्रतिक्षित पठानकोट-सरहिंद सड़क को चौड़ी बनाने का काम भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के प्रयासों से तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। इस संबंध में जानकारी देते हुए पंजाब के लोक निर्माण विभाग के मंत्री स. हरभजन सिंह ई.टी.ओ. ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का ऐलान मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान द्वारा पिछले साल पठानकोट में करवायी व्यापार मिलनी के दौरान किया गया था, और इसमें गांव सिद्धुवाल के पास भाखड़ा मेन लाइन पर एक स्टील पुल और मौजूदा सड़क को चारमार्गी करना शामिल है।

कैबिनेट मंत्री ने बताया कि अब तक कुल 25 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, जिसमें 32 करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि गांव सिद्धुवाल के पास स्टील पुल का निर्माण पूरा हो चुका है और यातायात के लिए उपलब्ध है। निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और 31 मार्च, 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

उन्होंने कहा कि इस सड़क के चौड़ी होने से 12 दुर्घटना संभावित क्षेत्रों का समापन हो जाएगा, जिससे सड़क सुरक्षा में बहुत सुधार होगा और संभावित मौतों को रोका जा सकेगा।

उन्होंने बताया कि 119.6 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना, जिस पर भाखड़ा नहर पर नया बना स्टील पुल भी शामिल है, ट्रैफिक भीड़ को कम करने, सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने, व्यापार और वाणिज्य को सुविधाजनक बनाने और क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील पत्थर को दर्शाती है।

उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए प्रशासनिक मंजूरी पिछली सरकार द्वारा 9 दिसंबर, 2021 को 119.6 करोड़ रुपये के अनुमानित लागत के साथ दी गई थी, लेकिन पिछली सरकार के दौरान विधानसभा चुनाव के कारण, केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एम.ओ.ई.एफ.सी.सी.) से कानूनी मंजूरियां प्राप्त किए बिना और उपयोग के लिए अतिरिक्त स्थान न दिए जाने के कारण काम जल्दी अलॉट कर दिया गया था। नतीजतन, काम शुरू नहीं हो सका और ठेकेदार ने करारनामे संबंधी विवाद उठाने शुरू कर दिए। इस वजह से लोगों को एक सुरक्षित, चारमार्गी सड़क की सुविधा से वंचित रहना पड़ा। नतीजन जनवरी 2022 में दिया गया करारनामा खत्म करना पड़ा।

कैबिनेट मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान के दूरदर्शी नेतृत्व में आवश्यक मंजूरियों में तेजी लायी गयी और निर्बाध प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सारी जरूरी मंजूरियों के बाद ही प्रोजेक्ट को फिर से अलॉट किया गया। राइट ऑफ वे (आर.ओ.डब्ल्यू.) के साथ कुल 22.59 हेक्टेयर वन भूमि प्राप्त की गई और मुआवजे के रूप में वन विभाग, पंजाब को प्रदेश में अन्य स्थानों पर 45.18 हेक्टेयर वन भूमि दी जा रही है।

उन्होंने आगे बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत हटाए जाने वाले 7392 पेड़, 1733 अंडर-गर्थ पोलों और 5730 पौधों के बदले वन विभाग मुआवजा और अतिरिक्त मुआवजे देने वाली पहलकदमियों के तहत 60106 पौधे लगा रहा है।

मंत्री ने कहा कि विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि वे प्रोजेक्ट को मुकम्मल करने की समय-सीमा का सख्ती से पालना करें, मिसाली गुणवत्ता के मानकों को बरकरार रखें और तुरंत काम शुरू करना यकीनी बनाएं।

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