“सांस फूलने वाली रातों से लेकर आरामदायक रिकवरी तक : एनएचएस अस्पताल ऑर्थोपनिया के मरीजों को राहत देता है”
Punjab News Live -PNL
July 13, 2025
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जालंधर, (PNL) : सोचिए एक थकान भरे दिन के बाद जब आप सोने जाएं, तो अचानकसांस की तकलीफ के कारण नींद से जाग जाएं। ऑर्थोप्निया से पीड़ितमरीज़ों के लिए ये एक बार की नहीं, बल्कि हर रात की परेशानी है।लेकिन अब एन.एच.एस अस्पताल, जालंधर में डॉ. साहिल सरीन (DM, कार्डियोलॉजी) और आधुनिक कार्डियक केयर की बदौलत इन मरीज़ों कोराहत मिलने लगी है।
ऑर्थोप्निया क्या है? केवल सांस की समस्या नहीं, दिल की चेतावनी है
ऑर्थोप्निया का मतलब है – जब कोई इंसान लेटता है, तो उसे सांस लेने मेंतकलीफ होती है। कई बार लोग इसे सामान्य थकान या बढ़ती उम्र काअसर समझते हैं, लेकिन यह अक्सर दिल की बीमारी का संकेत होता है, खासकर जब दिल का बायां हिस्सा ठीक से काम नहीं करता। ऐसे में दिलखून को ठीक से पंप नहीं कर पाता, जिससे फेफड़ों में पानी भरने लगता हैऔर लेटते समय सांस फूलने लगती है।
डॉ. साहिल सरीन कहते हैं,
“ऑर्थोप्निया कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि दिल संघर्ष कररहा है। समय पर जांच और इलाज से मरीज़ की ज़िंदगी बचाई जा सकतीहै।”
एन.एच.एस अस्पताल: दिल के मरीज़ों के लिए आशा की किरण
डॉ. साहिल सरीन की अगुवाई में एन.एच.एस अस्पताल में हार्ट फेल्योरऔर दूसरी दिल की बीमारियों की जांच और इलाज में जबरदस्त सुधारहुआ है। कार्डियोलॉजी में 10 साल से ज़्यादा अनुभव रखने वाले डॉ. सरीन, हार्ट फेल्योर मैनेजमेंट में विशेषज्ञ हैं।
यहां पर न सिर्फ अत्याधुनिक इलाज उपलब्ध है, बल्कि एक 3D कैथ लैबजैसी नई तकनीक भी है जो दिल की बीमारियों की जांच में क्रांतिकारीबदलाव ला रही है।
3D कैथ लैब: सटीक जांच और तेज़ इलाज
एन.एच.एस अस्पताल की 3D कैथ लैब एक नई और उन्नत तकनीक है, जो दिल की बीमारी का सही और जल्दी पता लगाने में मदद करती है।इस लैब की मदद से डॉक्टर दिल और उसकी नसों की 3D यानीतीन–तरफा तस्वीरें देख सकते हैं।
डॉ. साहिल सरीन कहते हैं, “पहले हम सिर्फ सपाट यानी 2D तस्वीरें देखतेथे, लेकिन अब 3D तकनीक से हम दिल को हर तरफ से घुमा कर देखसकते हैं, और वो भी लाइव।”
इससे दिल की नसों में रुकावट और हार्ट फेल होने की स्थिति का इलाजऔर जांच बहुत आसानी से हो पाता है। डॉक्टर अब खून के बहाव, दबावऔर दिल की काम करने की क्षमता को तुरंत देखकर सही इलाज तय करसकते हैं।
एक सच्ची कहानी: दो महीने की परेशानी का अंत
एन.एच.एस अस्पताल की एक हाल की सफलता की कहानी हॉस्पिटलकी बेहतरीन सुविधाओं को साबित करती है। इसमें फगवाड़ा के 62 सालके एक मरीज की बात है, जो करीब दो महीने से गंभीर सांस लेने कीदिक्कत (ऑर्थोप्निया) की वजह से रातों को सो नहीं पा रहे थे। कईलोकल क्लीनिकों में इलाज करवाने के बाद भी उनकी बीमारी का सहीपता नहीं चल पाया।
जब वे एनएचएस हॉस्पिटल पहुंचे, तो डॉ. साहिल सरीन की देखरेख मेंउनका पूरा चेकअप किया गया। 3डी कैथ लैब की मदद से डॉक्टरों ने दिलकी नसों में खतरनाक ब्लॉकेज पाए और इको टेस्ट से पता चला कि दिलकी पंपिंग भी कमजोर हो चुकी थी।
इसके बाद मरीज की बिना चीरे वाली (मिनिमली इनवेसिव) एंजियोप्लास्टी की गई और दवाइयों से धीरे–धीरे खुलने वाले स्टेंट लगाएगए। इलाज के तुरंत बाद दिल की पंपिंग में सुधार आया और मरीज कोसांस की तकलीफ से राहत मिली। महीनों बाद वह आराम से सो पाए।
डॉ. सरीन कहते हैं, “ऐसे केस यह दिखाते हैं कि सही समय पर की गईजांच, आधुनिक तकनीक और अनुभव मिलकर जान बचा सकते हैं।“
इलाज ही नहीं, जागरूकता भी एन.एच.एस की प्राथमिकता
अस्पताल सिर्फ इलाज ही नहीं, बल्कि लोगों को शिक्षित करने पर भी ज़ोरदेता है। बहुत से लोग ऑर्थोप्निया को सामान्य बुज़ुर्गी या सांस की बीमारीसमझ बैठते हैं।
एन.एच.एस अस्पताल में डॉ. सरीन की अगुवाई में फ्री हार्ट चेकअप कैंप, सेमिनार, और जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकिलोग समय रहते लक्षण पहचानें और जांच कराएं।
डॉ. सरीन सलाह देते हैं,
“जितनी जल्दी इलाज शुरू हो, उतना ही बेहतर नतीजा मिलता है। अगरकिसी को सोते समय कई तकियों की जरूरत पड़ने लगे या वह रात मेंसांस फूलने की वजह से जाग जाए, तो उसे तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट सेसलाह लेनी चाहिए।“
आधुनिक तकनीक के साथ–साथ मानवीय सेवा भी ज़रूरी
जहाँ 3डी कैथ लैब जैसी नई तकनीक दिल के इलाज में बहुत मदद करतीहै, वहीं इंसानों की देखभाल और अनुभव की भी अपनी अहमियत है।
एन.एच.एस अस्पताल में दिल के मरीजों के लिए एक खास टीम बनाई गईहै, जिसमें अनुभवी कार्डियक नर्सें, एनेस्थेटिस्ट, टेक्नीशियन और सपोर्टस्टाफ शामिल हैं। ये सभी मिलकर मरीज को पूरी सावधानी और ध्यान सेइलाज देते हैं।
अस्पताल की कार्डियक आईसीयू में हर समय मरीजों की निगरानी केलिए रीयल–टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम, सांस की मशीन (वेंटिलेटर) औरगंभीर मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद रहते हैं।
इससे यह सुनिश्चित होता है कि जिन मरीजों को लेटने पर सांस लेने मेंतकलीफ (ऑर्थोप्निया) होती है, खासकर जब वे इमरजेंसी में आते हैं, उन्हेंतुरंत और सही इलाज मिल सके।
एन.एच.एस अस्पताल – दिल के मरीजों की पहली पसंद क्यों है
उत्तरी भारत में एन.एच.एस अस्पताल बहुत तेजी से दिल के इलाज केलिए एक भरोसेमंद नाम बन गया है। इसके पीछे कई वजहें हैं, जो इसेदिल के मरीजों के लिए पहली पसंद बनाती हैं:
• डॉ. साहिल सरीन और अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों का 10 साल से ज्यादा काअनुभव
• 3D कैथ लैब जो दिल की बीमारी का सही और साफ़ चित्र दिखाती हैऔर इलाज आसान बनाती है
• इलाज में आधुनिक तरीकों और सही वैज्ञानिक नियमों का इस्तेमाल
• मरीज को सबसे पहले रखने वाला नजरिया और आधुनिक कार्डियकआईसीयू की सुविधा
• लगातार नई और बेहतरीन तकनीक को अपनाना
• सस्ता इलाज और बिलिंग में पूरी पारदर्शिता
यहाँ आने वाले मरीजों को सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि शुरुआत से ही पूराऔर भरोसेमंद देखभाल का अनुभव मिलता है।
हृदय रोगों का भविष्य: इलाज से पहले रोकथाम की दिशा में एक कदम
एन.एच.एस अस्पताल सिर्फ दिल की बीमारियों का इलाज नहीं कर रहा, बल्कि पूरे क्षेत्र में हृदय स्वास्थ्य का भविष्य तैयार कर रहा है।
डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड्स, दूर से हार्ट मॉनिटरिंग, और AI (आर्टिफीसियलइंटेलिजेंस) पर आधारित पूर्वानुमान प्रणाली जैसे नए कदमों के साथअस्पताल अब इलाज के पुराने तरीकों से आगे बढ़कर बीमारी को पहलेही पहचानने और रोकने की दिशा में काम कर रहा है।
डॉ. साहिल सरीन कहते हैं,
“हमारा लक्ष्य यह है कि ऑर्थोप्निया जैसी समस्याएं होने से पहले हीपकड़ी जाएं। यही भविष्य का वादा है, और हम उसकी तैयारी आज से कररहे हैं।“
अंत में: हर सांस की कीमत है
ऑर्थोप्निया को हल्के में न लें। यह एक बड़ा संकेत हो सकता है किआपका दिल ठीक से काम नहीं कर रहा। एन.एच.एस अस्पताल और डॉ.सरीन जैसे विशेषज्ञों के कारण अब पंजाब में भी विश्व–स्तरीय कार्डियकइलाज उपलब्ध है।
अब कोई भी सांस की तकलीफ के डर से रात न बिताए। समय पर जांचऔर इलाज से न सिर्फ जान बचाई जा सकती है, बल्कि एक आरामदायकऔर स्वस्थ जीवन पाया जा सकता है।
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Advanced Cardiac Care, Compassionate Healing