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संत सीचेवाल ने रूस में फंसे भारतीयों का मुद्दा संसद में उठाया, रूसी सेना में भर्ती 12 भारतीय अभी भी लापता
दिल्ली/चंडीगढ़, (PNL) : संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने संसद में प्रश्नकाल के दौरान विदेश मंत्रालय से रूस की सेना में फंसे भारतीयों का मुद्दा गंभीरता से उठाया। संसद का चल रहा मानसून सत्र भले ही हंगामों की भेंट चढ़ रहा हो, लेकिन सांसदों द्वारा पूछे गए लिखित सवालों का जवाब सरकार को संसद में देना ही पड़ता है।
संत सीचेवाल ने विदेश मंत्रालय से पूछा कि रूस में फंसे भारतीय नागरिकों के बारे में विस्तृत जानकारी क्यों उनके परिवारों तक नहीं पहुंच रही? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इन भारतीय नागरिकों को मदद उपलब्ध कराने, उनकी सुरक्षित वापसी, यात्रा प्रबंध और विदेश में कानूनी सहायता जैसे संवेदनशील मामलों में सरकार क्या कदम उठा रही है? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि रूस में फंसे भारतीय नागरिकों की वापसी में सरकार को किन बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें दूर करने के लिए क्या कार्यवाही की जा रही है?
संसद के मानसून सत्र में संत सीचेवाल के इस लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए विदेश मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि रूसी सशस्त्र सेनाओं में 127 भारतीय नागरिक मौजूद थे। इनमें से 98 लोग वापस आ चुके हैं, जबकि 13 भारतीय नागरिक अब भी रूसी सशस्त्र सेनाओं में हैं, जिनमें से 12 भारतीयों के रूसी पक्ष द्वारा लापता होने की पुष्टि की गई है।
विदेश राज्य मंत्री ने बताया कि संबंधित रूसी अधिकारियों से शेष/लापता व्यक्तियों के बारे में अद्यतन जानकारी देने और उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है। जिन भारतीय नागरिकों की सेवाएं रूसी सेना में समाप्त हो चुकी हैं, उनकी वापसी में भारतीय दूतावास ने सहायता प्रदान की है, जिसमें यात्रा दस्तावेजों की सुविधा और आवश्यकता पड़ने पर हवाई टिकट उपलब्ध कराना भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि विदेशों में सभी भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और भलाई सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और सहायता की किसी भी अर्जी पर तुरंत कार्रवाई की जाती है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में संत सीचेवाल ने दो परिवारों के सदस्यों को मास्को जाने के लिए टिकटें भी दिलवाई थीं, जिनके परिजन रूसी सेना में भर्ती थे। इन दो युवकों को रूस में कोई परेशानी न हो, इसके लिए भारतीय दूतावास के नाम संत सीचेवाल ने पत्र भी लिखा था, ताकि इन युवकों की मदद की जा सके और वे अपने परिजनों को खोज सकें।