जालंधर, (PNL) : एक समय था जब शहर में दो विधायकों का राज हुआ करता था। एक थे शीतल अंगुराल और दूसरे रमन अरोड़ा। दोनों पहली बार विधायक बने और एक-दूसरे के नजदीक भी बहुत हो गए थे। यहां तक कि कपड़े भी एक जैसे पहनने लग गए थे, लेकिन अचानक शीतल अंगुराल और सुशील रिंकू ने 2024 में आम आदमी पार्टी का साथ छोड़ दिया व बीजेपी में चले गए। तब रमन अरोड़ा भी भाजपा में जाना चाहते थे, लेकिन आप ने उन्हें जाने नहीं दिया।
शीतल को बीजेपी ने जालंधर वेस्ट उप-चुनाव में टिकट दी तो आप ने मोहिंदर भगत को मैदान में उतारा। शीतल अंगुराल चुनाव तो हार गए, लेकिन इस बीच उन्होंने जिस पैन ड्राइव का शोर मचाया, उसी पैन ड्राइव ने आज रमन अरोड़ा को पावरलैस कर दिया।
दरअसल शीतल अंगुराल का आरोप था कि रमन अरोड़ा के पंजाब के एक बहुत बड़े नेता के परिवार से नजदीकी संबंध है। शीतल का दावा था कि उनके पास रमन और नेता के परिवार की सारी रिकार्डिंग्स मौजूद हैं, जिसमें पैसों के लेन-देन संबंधी बात हो रही है। शीतल ने एक चौक में जाकर पैन ड्राइव दिखाई भी थी और कहा था कि उन्होंने जहां पहुंचानी थी, वहां पहुंचा भी दी। उसके बाद उक्त नेता के परिवार ने रमन अरोड़ा से दूरियां बना ली।
उस पैन ड्राइव का असर अब देखने को मिला है। क्योंकि अगर शीतल उक्त नेता के परिवार की बात बाहर ना उछालते तो रमन आज पावर में ही होते। क्योंकि रमन की नेता के परिवार के साथ नजदीकियां बेहद ज्यादा थी और उन पर कोई एक्शन नहीं होना था। मगर तब से रमन अरोड़ा पर सरकारी नजर रखी जा रही थी। कुल मिलाकर शीतल की पैन ड्राइव के खुलासे ने आज रमन को सलाखों के पीछे भेज दिया है। हालांकि विजिलेंस के पास रमन के खिलाफ भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत भी हैं। फिलहाल देखना होगा कि रमन के अलावा विजिलेंस किस-किस को केस में नामजद करती है।