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वकील को टार्चर करने वाले सीआईए इंचार्ज और हवलदार किए गए सस्पेंड, वकीलों की हड़ताल के बाद सरकार का एक्शन, पढ़ें पूरा मामला

न्यूज डेस्क, (PNL) : पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब में पुलिस हिरासत दौरान एक वकील को टार्चर करने के आरोप में एसएसपी ने सीआइए इंचार्ज इंस्पेक्टर रमन कुमार व सीनियर कांस्टेबल हरबंस सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। वकीलों की हड़ताल के बाद दबाव में आकर इन दोनों को सस्पेंड किया गया है।

सस्पेंड किए गए दोनों पुलिस मुलाजिमों की ड्यूटी पुलिस लाइन में लगा दी गई है। साथ ही मामले की जांच अब एसपी मोगा रविंदर सिंह और डीएसपी को सौंप दी गई है। वकील वरिंदर सिंह संधू व उसके मुवक्किल के साथ हिरासत में अमानवीय व्यवहार के आरोप में सोमवार देर शाम को थाना सदर में एसपी रमनदीप सिंह भुल्लर, सीआईए इंचार्ज इंस्पेक्टर रमन कुमार सहित छह पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।

इस मामले में वकीलों की ओर से पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में हड़ताल करने के बाद पुलिस दबाव में आ गई और अपने ही अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करना पड़ा। यह केस स्थानीय अदालत के निर्देशों पर पीड़ित वकील वरिंदर सिंह के बयान पर दर्ज किया गया है। सस्पेंड किए गए अधिकारी व कर्मचारी के मामले को लेकर गठित एसआईटी जांच करेगी।

श्री मुक्तसर बार एसोसिएशन के प्रधान भूपिंदर सिंह बराड़ ने बताया कि बीती 14 सितंबर को एडवोकेट वरिंदर सिंह संधू के एक क्लाइंट ने उन्हें बताया कि पुलिस ने गांव में नशे के खिलाफ एक कमेटी बनाई है। उस कमेटी में शामिल लोगों के खिलाफ उनका केस चल रहा है। बताया कि वह उनकी और घर आने वालों की तलाशी लेते हैं और उन्हें झूठे केस में फंसाने का शक जताया।

एडवोकेट वरिंदर सिंह संधू क्लाइंट के साथ SSP ऑफिस गए थे, लेकिन वहां SSP से मुलाकात नहीं हो सकी। फिर क्लाइंट ने एडवोकेट वरिंदर से कहा कि अब उसे गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा। ऐसे में एडवोकेट ने क्लाइंट को थाना सदर में शिकायत देने को कहा और उसके साथ थाना सदर चले गए। वहां शिकायत के बाद थाना एसएचओ ने उन्हें गांव में आकर ग्रामीणों की संयुक्त कमेटी बना देने का भरोसा दिलाया।

थाने से बाहर निकलने पर एडवोकेट से मारपीट

आरोप हैं कि पुलिस थाने से बाहर निकलते ही एडवोकेट संधू से CIA के पुलिसकर्मियों द्वारा मारपीट की गई। फिर उन्हें जबरन CIA दफ्तर ले जाकर उनसे अमानवीय व्यवहार कर मारपीट की। फिर 16 सितंबर को एडवोकेट संधू को कोर्ट में पेश किया। आरोप हैं कि इससे पहले पुलिस ने एडवोकेट को यह कहकर डराया-धमकाया कि यदि उन्होंने कोर्ट में मुंह खोला तो उनसे दोबारा अमानवीय व्यवहार किया जाएगा।

पुलिस के धमकाने पर मुंह नहीं खोला

इससे पहले पीड़ित एडवोकेट वरिंदर सिंह संधू ने न तो मेडिकल अफसर के सामने आपबीती बयां की और न ही CJM कोर्ट में कुछ कहा। हालांकि बाद में कुछ वकील साथियों को पूरी घटना बारे जानकारी दी। इसके बाद वकीलों ने अदालत में अर्जी दायर कर पीड़ित वकील का मेडिकल दोबारा कराने की अपील की। अदालत ने अर्जी स्वीकार की और मेडिकल के दो दिन बाद रिपोर्ट आने पर उसमें 18 जगहों पर चोट की पुष्टि हुई।

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