जल विवाद पर पंजाब भवन में सर्वदलीय बैठक, अकाली दल ने दिया पंजाब सरकार को समर्थन, कांग्रेसी नेता भी पहुंचे, सीएम मान बोले-धक्के से पानी नहीं ले सकते, पढ़ें
Punjab News Live -PNL
May 2, 2025
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चंडीगढ़, (PNL) : पंजाब-हरियाणा के बीच उपजे जल विवाद के बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में पंजाब भवन में सर्वदलीय बैठक खत्म हो गई है। बैठक में प्रदेश भाजपा प्रधान सुनील जाखड़, अकाली दल से दलजीत चीमा और कांग्रेस से तृप्त इंदर सिंह बाजवा और राणा केपी माैजूद रहे। कांग्रेस के तृप्त राजिंदर बाजवा ने सीएम मान से बैठक में कहा कि इस पानी के मुद्दे पर ऑल पार्टी डेलिगेशन को पीएम से समय लेकर मुलाकात करनी चाहिए।
बैठक के बाद पत्रकारवार्ता में सीएम मान ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में दो घंटे तक पानी के मुद्दे पर चर्चा हुई। सीएम ने कहा कि बीबीएमबी को डिक्टेट किया गया। हरियाणा को पानी देने का फैसला रातों रात किया गया। ऑल पार्टी मीटिंग में इसका विरोध किया गया। सीएम मान ने कहा कि पार्टी लाइन से ऊपर उठकर बैठक में पानी के गंभीर मुद्दे पर चर्चा हुई।
सीएम ने कहा कि सभी पार्टी नेताओं ने पानी के शेयर को लेकर अपने हक पर सहमति जताई। कुछ सुझाव दिए गए हैं, उन्हें भी अमल में लाया जाएगा। बीबीएमबी का एग्रीमेंट और क्लास, अफसरों की तैनाती, चंडीगढ़ प्रशासन की हिस्सेदारी को लेकर भी विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्ताव लाए जाएंगे। सर्वदलीय बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी से भी समय लेकर मुलाकात करने की बात सामने आए है।
सीएम ने कहा कि जाखड़ टेल के बाशिंदे है, उधर पानी की बहुत कमी है। सीएम मान ने कहा कि हो सकता है हरियाणा में भी समय के साथ पानी की जरूरत बढ़ी है। ऐसे में बीस मई के बाद जरूरतों में संशोधन किया जा सकता है।
अकाली दल नेता बोले-सरकार को पूरा समर्थन
अकाली नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा कि हम सरकार के साथ है। पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि पंजाब सरका राई का पहाड़ बना रही है…इस मुद्दे को बातचीत के जरिए आसानी से सुलझाया जा सकता था…चूंकि सितंबर से मई तक सूखा रहता है, इसलिए कोई न कोई राज्य अधिक पानी का इस्तेमाल करता है और उन्हें इसके लिए मुआवजा दिया जाता है…मैंने मुख्यमंत्री से कहा कि वे इस विवाद को खत्म करें और इस मुद्दे को सुलझाएं। देश आज ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां इस तरह का अनावश्यक तनाव अनुचित है…मैं पंजाब के साथ खड़ा हूं और हमारी पार्टी भी…दोनों पक्षों की अपनी-अपनी राजनीतिक मजबूरियां हैं…”