नई दिल्ली, (PNL) : एनडीए के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए हैं. कुल 788 मतदाता थे, जिनमें से 7 सीटें खाली थीं, इसलिए 781 निर्वाचक थे. मतदान प्रतिशत 98.2% रहा, जिसमें कुल 767 वोट डाले गए. इनमें से 752 वोट मान्य माने गए. सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंदी और विपक्ष के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले.
कौन हैं सीपी राधा कृष्णन
चंद्रपुरम पोन्नुस्वामी राधाकृष्णन फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उन्होंने 31 जुलाई 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। अपनी नियुक्ति से पहले, उन्होंने लगभग डेढ़ वर्ष तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। झारखंड के राज्यपाल के रूप में राधाकृष्णन को भारत के राष्ट्रपति की ओर से तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने के लिए नियुक्त किया गया था।
चार दशकों से ज्यादा के अनुभव के साथ राधाकृष्णन तमिलनाडु की राजनीति और सार्वजनिक जीवन में एक सम्मानित नाम हैं। चंद्रपुरम पोन्नुस्वामी राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तिरुपुर, तमिलनाडु में हुआ था। राधाकृष्णन ने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करते हुए, वे 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने।
1996 में राधाकृष्णन को तमिलनाडु भाजपा का सचिव नियुक्त किया गया। 1998 में वे पहली बार कोयंबटूर से लोकसभा के लिए चुने गए। 1999 में वे फिर से लोकसभा के लिए चुने गए।
कई संसदीय समिति के सदस्य भी रहे
सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कपड़ा संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) संबंधी संसदीय समिति और वित्त संबंधी परामर्शदात्री समिति के भी सदस्य रहे। वे स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच करने वाली संसदीय विशेष समिति के सदस्य भी थे।
2004 में राधाकृष्णन ने संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। वे ताइवान गए पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे।
रह चुके हैं तमिनाडु भाजपा अध्यक्ष
2004 से 2007 के बीच राधाकृष्णन तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस पद पर रहते हुए, उन्होंने 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ की, जो 93 दिनों तक चली। यह यात्रा सभी भारतीय नदियों को जोड़ने, आतंकवाद के उन्मूलन, समान नागरिक संहिता लागू करने, अस्पृश्यता निवारण और मादक पदार्थों के खतरे से निपटने जैसी उनकी मांगों को उजागर करने के लिए आयोजित की गई थी। उन्होंने विभिन्न उद्देश्यों के लिए दो और पदयात्राओं का भी नेतृत्व किया।
2016 में राधाकृष्णन को कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और वे चार वर्षों तक इस पद पर रहे। उनके नेतृत्व में भारत से कॉयर निर्यात 2532 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। 2020 से 2022 तक वे केरल भाजपा के अखिल भारतीय प्रभारी रहे।
2023 में बने झारखंड के राज्यपाल
18 फरवरी, 2023 को राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। अपने पहले चार महीनों के कार्यकाल में उन्होंने झारखंड के सभी 24 जिलों का दौरा किया और नागरिकों तथा जिला अधिकारियों से बातचीत की।