संदीप साही
जालंधर, (PNL) : पार्टियां अलग, पर दिल एक। जालंधर के चार जिगरी यारों ने जनता का दिल जीत लिया है। उनकी पार्टियां चाहे अलग-अलग है, लेकिन उनका दिल आज भी एक दूसरे के लिए धड़कता है। हम बात कर रहे हैं चार जिगरी यारों की जिनमें राजीव ढींगरा, वनीत धीर, सौरभ सेठ और अमित संधा शामिल हैं। इनकी दोस्ती पुरानी है और ये शुरू से भाजपा में थे। निगम चुनाव से पहले सौरभ सेठ और वनीत धीर आप में शामिल हो गए थे, लेकिन राजीव ढींगरा और अमित संधा ने बीजेपी नहीं छोड़ी। इन सभी को इनकी पार्टी ने टिकट दी और ये अपनी मेहनत से पार्षद बन गए।
बीजेपी के वार्ड नं 64 से खड़े हुए राजीव ढींगरा के लिए ये चुनाव आम नहीं था। उनका मुकाबला पूर्व मेयर जगदीश राजा से था, जो कद्दावर नेता था। मगर ढींगरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और डटकर राजा का मुकाबला किया। उसी के चलते ढींगरा राजा को 204 वोटों से हरा पाए। दो चुनाव हारने के बाद ढींगरा पहली बार पार्षद बने हैं।
वहीं बीजेपी ने अमित संधा की पत्नी चरणजीत कौर संधा को वार्ड नं 59 से उम्मीदवार बनाया था। उनका मुकाबला आप की सीमा हंस से था, लेकिन अमित की छवि के कारण उनकी पत्नी ने सीमा को 1166 वोटों के अंतर से हरा दिया। इससे पहले भी चरणजीत संधा पार्षद रह चुकी हैं।
इसी तरह वार्ड नं 57 से आप ने सौरभ सेठ की पत्नी कविता सेठ को मैदान में उतारा। कविता का मुकाबला बीजेपी की पूनम थापा से था। कविता ने पूनम को 639 वोटों से हराया। सौरभ लंबे समय से इस वार्ड में काम कर रहे थे और पहली बार उनकी पत्नी पार्षद बनी है।

punjabnewslive




