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NHS अस्पताल जालंधर में भारी जोखिम वाले प्रोस्टेट केस का सफल इलाज HoLEP सर्जरी से, डॉ. सतिंदर पाल बोले-ये तकनीक और विशेषज्ञता की जीत
Punjab News Live -PNL
July 6, 2025
जालंधर , ताजा खबर , पंजाब , होम
जालंधर, (PNL) : एन .एच .एस अस्पताल जालंधर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमुख केंद्र है । हाल ही में एक जटिल यूरोलॉजिकल (मूत्र संबंधी ) केस में , कपूरथला के रहने वाले एक मरीज का इलाज अत्याधुनिक HoLEP तकनीक से सफलतापूर्वक किया गया , जो अस्पताल की उन्नत सुविधाओं और अनुभवी डॉक्टरों की टीम की काबिलियत का प्रमाण है ।
मरीज और समस्या
कपूरथला निवासी श्री जोगा सिंह 2 जून 2025 को एन .एच .एस अस्पताल जालंधर पहुंचे । उन्हें पेशाब करने में अचानक रुकावट हो गई थी । जांच में पता चला कि उनकी प्रोस्टेट ग्रंथि बहुत अधिक बड़ी हो गई थी — करीब 150 ग्राम की , जो सामान्य से काफी अधिक है और तुरंत इलाज की जरूरत थी ।
मामला इसलिए भी जटिल था क्योंकि श्री सिंह पहले स्ट्रोक (अधरंगी ) से पीड़ित रह चुके थे , उन्हें डायबिटीज थी और वह लंबे समय से ब्लड थिनर (खून पतला करने वाली दवाएं ) ले रहे थे । इस वजह से सर्जरी के दौरान खून बहने , संक्रमण , खून चढ़ाने या यहां तक कि डायलिसिस की संभावना भी थी , जिससे मरीज और उनके परिवार वाले काफी चिंतित थे ।
जोखिम और ज़रूरत का संतुलन
इतने बड़े प्रोस्टेट में दवाओं से इलाज संभव नहीं था । लेकिन सामान्य ऑपरेशन करना भी खतरनाक हो सकता था , क्योंकि श्री सिंह की हालत पहले से कमजोर थी । ज्यादा खून बहने की स्थिति में गंभीर खतरा हो सकता था ।
एन .एच .एस अस्पताल के सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ . सतिंदर पाल अग्रवाल (MCh Urology) के अनुसार , मुख्य चुनौती यह थी कि प्रोस्टेट को इस तरह निकाला जाए जिससे खून कम बहे , संक्रमण न हो , किडनी को कोई नुकसान न पहुंचे और मरीज को खून चढ़ाने की ज़रूरत न पड़े ।
HoLEP तकनीक : एक आधुनिक समाधान
एक विशेषज्ञ टीम जिसमें यूरोलॉजी , नेफ्रोलॉजी , कार्डियोलॉजी और एनेस्थीसिया शामिल थे , ने मिलकर निर्णय लिया कि श्री सिंह का इलाज HoLEP (Holmium Laser Enucleation of the Prostate) तकनीक से किया जाएगा ।
यह एक आधुनिक और कम तकलीफ देने वाली सर्जरी है , जिसमें एक लेज़र की मदद से प्रोस्टेट को सटीकता से निकाला जाता है । इस तकनीक में खून बहुत कम बहता है , जो ब्लड थिनर लेने वाले मरीजों के लिए बेहद उपयुक्त है । डॉ . अग्रवाल ने बताया , “HoLEP से हम बिना ज्यादा खून बहाए प्रोस्टेट को आसानी से निकाल सकते हैं । यह हाई –रिस्क मरीजों के लिए सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक है । ”
सर्जरी और नतीजा
यह सर्जरी स्पाइनल एनेस्थीसिया के साथ की गई और पूरी तरह सफल रही । न तो ऑपरेशन के दौरान और न ही बाद में खून चढ़ाने की ज़रूरत पड़ी । श्री सिंह को ऑपरेशन के कुछ ही घंटों बाद रिकवरी वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया और उनकी हालत तेजी से सुधरी ।
सिर्फ दो दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई ।
श्री सिंह ने कहा , “मैं डायलिसिस या अन्य जटिलताओं की आशंका से डर कर आया था , लेकिन दूसरे ही दिन बिना किसी दर्द के घर लौट गया । ”
फॉलो-अप और भविष्य की स्थिति
फॉलो –अप में सभी रिपोर्ट्स सामान्य आईं । किडनी की कार्यक्षमता ठीक थी , पेशाब की रुकावट पूरी तरह खत्म हो चुकी थी और कोई भी समस्या नहीं बची थी । श्री सिंह ने डॉ . अग्रवाल का आभार जताते हुए कहा कि “डॉक्टर साहब ने मुझे नई जिंदगी दी है । ”
सफलता की पूरी टीम
यह सफलता केवल एक व्यक्ति की नहीं , बल्कि पूरे अस्पताल की टीम की मेहनत का परिणाम है — एनेस्थीसिया टीम , नेफ्रोलॉजिस्ट , यूरोलॉजिस्ट , नर्सिंग स्टाफ और बाकी सभी का योगदान रहा । अस्पताल प्रबंधन ने पूरी टीम की प्रशंसा की और कहा , “यह केस साबित करता है कि जब अनुभव , तकनीक और सेवा –भाव मिलते हैं , तो सबसे कठिन केस भी हल हो सकता है । ”
एन.एच.एस अस्पताल : उन्नत यूरोलॉजी तकनीक का केंद्र
एन .एच .एस अस्पताल लंबे समय से अत्याधुनिक तकनीकों के प्रयोग में अग्रणी रहा है । डॉ . सतिंदर पाल अग्रवाल की नेतृत्व में यहां प्रोस्टेट , ब्लैडर स्टोन , किडनी ट्यूमर जैसे जटिल मामलों का सफल इलाज किया जा रहा है । अस्पताल में HoLEP के अलावा हाई –रेजोल्यूशन इमेजिंग , साइलेंट MRI, CT स्कैनर और आधुनिक पैथोलॉजी सुविधाएं भी मौजूद हैं ।
इनसानी स्पर्श और आधुनिकता का मेल
एन .एच .एस अस्पताल का फोकस सिर्फ तकनीक पर नहीं , बल्कि इंसानियत और सहानुभूति पर भी है । मरीज को समय पर , उनकी ज़रूरत के हिसाब से और सम्मानजनक इलाज देना यहां की प्राथमिकता है । डॉ . अग्रवाल ने कहा , “हमारा लक्ष्य सिर्फ इलाज करना नहीं , बल्कि मरीज को फिर से स्वस्थ और आत्मविश्वासी बनाना है । ”
हाई-रिस्क मामलों के लिए आशा की किरण
जिन मरीजों को पहले से स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं , वे सर्जरी से डरते हैं । लेकिन श्री सिंह का केस यह दिखाता है कि सही डॉक्टर , सही तकनीक और सही देखभाल से चमत्कारी परिणाम मिल सकते हैं ।
जागरूकता की ज़रूरत
एन .एच .एस अस्पताल मानता है कि HoLEP जैसी तकनीकों के बारे में लोगों को जानकारी देना ज़रूरी है । कई मरीज जानकारी के अभाव में अनावश्यक तकलीफें झेलते हैं । डॉ . अग्रवाल कहते हैं , “अभी भी बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर ब्लड थिनर ले रहे हैं या पहले स्ट्रोक हुआ है , तो ऑपरेशन नहीं हो सकता । लेकिन ऐसा नहीं है — अब हमारे पास सुरक्षित विकल्प हैं । ”
अस्पताल आने वाले समय में जागरूकता सेमिनार और शिविरों का आयोजन करेगा ताकि लोग प्रोस्टेट की समस्याओं , समय पर जांच और सही इलाज के बारे में जान सकें ।
निष्कर्ष
श्री जोगा सिंह के जटिल केस का सफल इलाज एन .एच .एस अस्पताल जालंधर की मेडिकल विशेषज्ञता , अत्याधुनिक तकनीक और समर्पण का उदाहरण है । डॉ . सतिंदर पाल अग्रवाल और उनकी टीम ने यह साबित कर दिया कि आज की चिकित्सा विज्ञान में कोई भी केस असंभव नहीं है । यह कहानी उन सभी के लिए आशा की किरण है , जो सोचते हैं कि जटिल स्थितियों में समाधान नहीं है । सही जानकारी , अनुभव और तकनीक से सबकुछ संभव है ।
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