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हरजोत सिंह बैंस द्वारा पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट को भंग करने संबंधी केंद्र के कदम की कड़ी आलोचना; पंजाब की गौरवशाली विरासत पर हमले के खिलाफ डटे रहने का प्रण

चंडीगढ़, (PNL) : पंजाब विश्वविद्यालय की 59 साल पुरानी सीनेट और सिंडिकेट को मनमाने ढंग से भंग करने के निर्णय पर भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पंजाब के शिक्षा मंत्री श्री हरजोत सिंह बैंस ने आज इस तानाशाही फैसले को पंजाब की गौरवशाली विरासत, लोकतंत्र और बौद्धिकता पर सीधा हमला बताया।

श्री बैंस ने कहा कि यह शासन नहीं बल्कि राजनीतिक धक्केशही है। केंद्र का यह एकतरफा कदम पंजाब की मेहनत से अर्जित की गई स्वायत्तता, अकादमिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों को रौंदने वाला है। यह पंजाब की आत्मा पर प्रहार है।

पंजाब विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्व का उल्लेख करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह केवल एक विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि दशकों की सामूहिक मेहनत, बौद्धिकता और कुर्बानियों से निर्मित संस्थान है। उन्होंने सीनेट भंग करने के पीछे की संकीर्ण मानसिकता पर सवाल उठाते हुए पिछली सीनेट चुनावों में पंजाब के लोगों द्वारा दिए गए स्पष्ट जनादेश का भी उल्लेख किया।

श्री हरजोत सिंह बैंस ने पूछा, “केंद्र सरकार को छह दशक पुरानी लोकतांत्रिक संस्था को खत्म करने की हिम्मत कैसे हुई?” उन्होंने कहा कि पिछली सीनेट चुनावों में ग्रेजुएट हलके के लिए पंजाब के लोगों ने सभी सीटें जीतकर अपने प्रतिनिधि चुने थे। यह जनता का स्पष्ट जनादेश था। अब भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार, जो बैलेट बॉक्स के ज़रिए जनता का विश्वास नहीं जीत सकी, अपने चहेतों को आगे लाकर इस सम्मानित और ऐतिहासिक विश्वविद्यालय को राजनीति का अखाड़ा बनाना चाहती है।

इस कदम को “कब्ज़े और धक्केशाही भरी कार्रवाई” बताते हुए शिक्षा मंत्री द्वारा केंद्र सरकार नियंत्रण को केंद्रीकृत करने, पंजाब की अलग आवाज़ को दबाने और भारतीय संविधान में निहित संघवाद के सिद्धांतों को योजनाबद्ध तरीके से कमजोर करने की छिपी हुयी खतरनाक साज़िश को उभारा।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह प्रत्यक्ष तौर पर असहमति को दबाने और राज्यों के अधिकारों को कमजोर करने की सोची-समझी कोशिश है, परंतु पंजाब इस तानाशाही के आगे नहीं झुकेगा। पंजाब सरकार शिक्षकों, छात्रों और स्टाफ़ सहित पूरे अकादमिक समुदाय के साथ मिलकर हर लोकतांत्रिक मंच पर केंद्र के इस कदम का कड़ा विरोध करेगी और पंजाब की प्रतिष्ठित विरासत और अधिकारों की रक्षा के लिए सभी कानूनी और संवैधानिक उपाय अपनाएगी।

उन्होंने स्पष्टतः कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय पंजाब और उसके लोगों की है; इसका इतिहास और भविष्य पंजाब से गहराई से जुड़ा है। यह किसी तानाशाह केंद्र सरकार की निजी संपत्ति नहीं है, जो इसे मनमाने ढंग से चलाना या दबाना चाहती है। पंजाब के लोग इस राजनीतिक धक्केशाही को किसी भी हालत में सफल नहीं होने देंगे।

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