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किसान आंदोलन 2 के लिए दिल्ली की तरफ निकले पड़े किसान, बॉर्डर किए गए सील, हजारों पुलिस मुलाजिम तैनात, पढ़ें

नई दिल्ली, (PNL) : किसान आंदोलन 2 के लिए किसान आज सुबह 10 बजे दिल्ली की तरफ निकल पड़े हैं। 12 फरवरी की रात चंडीगढ़ में साढ़े 5 घंटे चली मीटिंग में किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून और कर्ज माफी पर सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक सरवण सिंह पंधेर ने दिल्ली कूच का ऐलान किया।

पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से दिल्ली के लिए निकलने से पहले किसान खाना बांट रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली के अलावा नोएडा पुलिस ने भी सभी बॉर्डर पर सख्ती बढ़ा दी है. नोएडा पुलिस का कहना है कि वह दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही है. बॉर्डर वाले रोड पर ट्रैफिक जाम की समस्या है, लेकिन शहर अंदर की सड़कों पर ट्रैफिक सामान्य है.

किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने शाहदरा बॉर्डर पर भी चौकसी बढ़ा दी है. यहां बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं और पुलिस फोर्स भी बढ़ा दी गई है. दिल्ली के सभी बॉर्डर पर पुलिस तैनात है. सबसे ज्यादा चौकसी सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर रखी जा रही है.

किसानों को पंजाब-हरियाणा की शंभू, खनौरी और डबवाली बॉर्डर पर इकट्‌ठा होने के लिए कहा है। पंधेर बोले- सरकार किसानों की मांगों को लेकर सीरियस नहीं है। सरकार के मन में खोट है। वह सिर्फ टाइम पास करना चाहती है। हम सरकार के प्रस्ताव पर विचार करेंगे, लेकिन आंदोलन पर कायम हैं।

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि बातचीत के जरिए सब बातों का हल निकलना चाहिए। कुछ ऐसे मामले हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए कमेटी बनाने की जरूरत है।

आंदोलन को देखते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के बॉर्डर सील हैं। दिल्ली में कड़ी बैरिकेडिंग की गई है। एक महीने के लिए धारा 144 भी लागू कर दी गई है।

2 साल पहले 378 दिन चला था किसान आंदोलन
17 सितंबर 2020 को लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर देश के इतिहास में सबसे लंबा किसान आंदोलन चला था। पंजाब से शुरू हुआ आंदोलन पूरे देश में फैला। 25 नवंबर 2020 को किसान दिल्ली के लिए निकले। इसके 378 दिन बाद 11 दिसंबर 2021 को किसानों ने किसान संयुक्त मोर्चा विजय दिवस मनाया, जिसके बाद आंदोलन खत्म हुआ।

हजारों किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ अभियान के हिस्से के रूप में केंद्र के तीन कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग की थी। इसमें पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान समेत देश के अन्य राज्यों के किसान दिल्ली में जुटे थे।

दावा किया गया कि इस आंदोलन में 700 किसानों की मौत हुई थी।19 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार ने किसानों की मांगें मान ली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर तीनों कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। इसके बाद किसानों ने 11 दिसंबर को आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया था।

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