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अमृतधारी सिख को दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर कृपाण के साथ जाने से रोका, एसजीपीसी प्रधान बोले- संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन

नई दिल्ली, (PNL) : दिल्ली के झिलमिल मेट्रो स्टेशन पर सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) के एक कर्मचारी ने अमृतधारी सिख को कृपाण के साथ सफर करने से रोक दिया। शिकायत दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरमीत सिंह कालका के पास पहुंची तो उन्होंने वीडियो पोस्ट कर ऐतराज जाताया। एसजीपीसी और AAP सांसद मलविंदर सिंह कंग ने इसका विरोध जताया है।

एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरमीत सिंह कालका ने कहा कि एक अमृतधारी सिख को कृपाण के साथ मेट्रो में प्रवेश से रोके जाने की घटना ने धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने इस घटना की निंदा करते हुए इसे भारत के संविधान की अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताया।

घटना दिल्ली के झिलमिल मेट्रो स्टेशन पर तब हुई, जब एक अमृतधारी सिख को कृपाण धारण करने के कारण मेट्रो स्टेशन में प्रवेश करने से रोका गया। CISF के एक कर्मचारी ने सुरक्षा नियमों का हवाला देते हुए उन्हें रोक दिया।

झिलमिल रेलवे स्टेशन पर रोजाना सफर करने वाले सिख व्यक्ति ने बताया कि उनकी कृपाण 6 इंच से छोटी है और नियमों अनुसार इसे ले जा सकते हैं। लेकिन सुरक्षाकर्मी ने इसकी इजाजत नहीं दी। जिसके बाद इस पूरी घटना की वीडियो बनाई, और दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी तक पहुंचाई।

एडवोकेट धामी ने कहा संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन

एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यह घटना न केवल संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं पर हमला है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करने की स्वतंत्रता देता है। अमृतधारी सिखों के लिए पांच ककार (कड़ा, कृपाण, केश, कंघा और कच्छा) धारण करना अनिवार्य है, जिसे भारतीय संविधान भी मान्यता देता है।

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