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अकाली दल से अलग हुई बसपा, अकेले लड़ेगी लोकसभा चुनाव, मायावती ने किया ऐलान, पढ़ें

नई दिल्ली, (PNL) : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने अपने 68वें जन्मदिन पर ऐलान किया कि उनकी पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी और अकेले चुनाव लड़ेगी. अपने जन्मदिन पर मायावती अपने पुराने अंदाज में दिखीं और उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव और केंद्र और यूपी की सत्ताधारी बीजेपी पर भी जमकर निशाना साधा. मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा और राजनीति से संन्यास से जुड़े सवालों पर भी प्रतिक्रिया दी.

मायावती ने बसपा के लखनऊ दफ्तर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, बसपा 2024 में लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी और जातिवादी, पूंजीवादी, सांप्रदायिक तथा संकीर्ण सोच रखने वाली विरोधी पार्टियों से दूरी बनाकर रखेगी. उन्होंने कहा, मैं चुनाव को लेकर यह बात फिर से स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि हमारी पार्टी आम चुनाव गरीबों, उपेक्षित वर्गों में से विशेषकर दलितों, आदिवासियों, अति पिछड़े वर्ग, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों के बलबूते पर ही पूरी तैयारी व दमखम के साथ अकेले ही लड़ेगी.

यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने कहा, इन्हीं वर्गों के बलबूते ही हमने 2007 में आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अकेले ही चुनाव लड़कर अपनी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. इसलिए इस अनुभव को ध्यान में रखते हुए हमारी पार्टी लोकसभा चुनाव (https://www.abplive.com/topic/lok-sabha-election-2024) अकेले ही लड़ेगी.
EVM पर क्या बोलीं मायावती?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने ईवीएम का भी मुद्दा उठाया. मायावती ने कहा, ईवीएम से चुनाव होने में धांधली होने लगी है.ईवीएम में मिल रही गड़बड़ी की खबरों से पार्टी के लोग चिंतित हैं. लेकिन हम इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं. पूर्व सीएम ने कहा, यदि यह चुनाव 2007 के उप्र विधानसभा चुनाव की तरह निष्पक्ष और ईमानदारी के साथ होता है, जब ईवीएम में कोई गड़बड़ी या धांधली नहीं की गई थी, तो हमारी पार्टी अकेले चुनाव लड़कर अच्छे परिणाम लाएगी.

गठबंधन में क्यों नहीं लड़ेंगी चुनाव?
मायावती ने कहा, हमारी पार्टी यह चुनाव अकेले इसलिए लड़ेगी,क्योंकि पार्टी का नेतृत्व एक दलित के हाथ में है जिसके प्रति अधिकतर पार्टियों की जातिवादी मानसिकता अभी तक नहीं बदली है. यही मुख्य वजह है कि गठबंधन करके चुनाव लड़ने पर बसपा के वोट तो गठबंधन की पार्टी में चले जाते हैं, लेकिन उनके वो
ट, खास कर उच्च जाति वर्ग के वोट बसपा को नहीं मिल पाते.

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