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खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल के लिए आसान नहीं संसद की राह, कदम-कदम पर कोर्ट से अनुमति जरूरी, 60 दिन से ज्यादा गैर-हाजिर नहीं रह सकते

न्यूज डेस्क, (PNL) : जेल में रहते हुए चुनाव जीतने वाले लोकसभा चुनाव के दो चेहरों ने शुक्रवार को संसद में शपथ ली। इनमें से एक नाम जम्मू-कश्मीर के बारामुल्ला से इंजीनियर राशिद का है, जबकि दूसरा नाम पंजाब के खडूर साहिब से वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह का है। राशिद के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कार्रवाई कर रही है, जबकि अमृतपाल सिंह पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की गई है।

अमृतपाल सिंह की बात करें तो वह मार्च 2023 से एनएसए के तहत असम के डिब्रूगढ़ की जेल में हैं। एनएसए एक ऐसा कानून है जो सरकार को बिना औपचारिक आरोपों के 12 महीने तक व्यक्तियों को हिरासत में रखने की अनुमति देता है। लेकिन, पंजाब में चुनाव नतीजों से एक दिन पहले 3 जून को अमृतपाल सिंह की एनएसए अवधि 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई। आगे क्या होगा यह भी पंजाब सरकार पर निर्भर करता है।

चुनाव से पहले परिवार ने अमृतपाल सिंह और उनके 9 साथियों को पंजाब शिफ्ट करने के कई प्रयास किए, जो विफल रहे। अंत में परिवार ने अमृतपाल सिंह को लोकसभा चुनाव में उतारा। हैरानी की बात यह रही कि खडूर साहिब की जनता ने परंपरागत पार्टियों को इस हद तक नकार दिया कि अमृतपाल 1.97 लाख वोटों के अंतर से जीत गए।

शपथ के बाद भी हर कदम मुश्किल

संवैधानिक तौर पर सांसद बनने के लिए अमृतपाल के लिए पहला कदम शपथ लेना था, जो शुक्रवार को पूरा हो गया। चुनावी जीत का मतलब है कि जेल में रहने के बावजूद अमृतपाल के पास सांसद के तौर पर संवैधानिक जनादेश है।

जॉर्ज फर्नांडिस हुए थे जेल से रिहा

एक मामले में जेल से सबसे प्रसिद्ध चुनावी जीत 1977 में हुई थी। आपातकाल के दौरान जेल में रहते हुए ट्रेड यूनियनवादी जॉर्ज फर्नांडीस मुजफ्फरपुर सीट से चुने गए थे। शपथ समारोह से पहले उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था।

लेकिन, उन पर धाराएं कुछ और थी। वहीं, अमृतपाल सिंह पर NSA लगा है। इतना ही नहीं, उसके खिलाफ पंजाब के विभिन्न थानों में 12 मामले दर्ज हैं। वहीं, तीन महीने के लिए NSA की अवधी को बढ़ा दिया गया है, उसके आगे का निर्णय भी पंजाब सरकार को लेना होगा।

हर कदम पर अनुमति लेनी होगी जेल में सांसद को

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट संदीप गोरसी ने बताया कि शपथ लेने के लिए अमृतपाल सिंह को पैरोल दी गई। लेकिन जेल में रहते हुए सांसद बने अमृतपाल सिंह को संसद तक पहुंचने के लिए हर कदम पर अलग-अलग जगहों से अनुमति लेनी होगी।

अगर वे संसद से अनुपस्थित रहना चाहते हैं तो उसके लिए भी स्पीकर को लिखना होगा। यह बहुत जरूरी है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 101(4) में कहा गया है कि यदि कोई सांसद बिना अनुमति के सभी बैठकों से 60 दिनों से अधिक समय तक अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सीट को खाली घोषित कर दिया जाएगा।

सत्र में भाग लेने के लिए भी लेनी होगी अनुमति

संसद सत्र में भाग लेने या संसद में वोट डालने के लिए सांसद को अनुमति के लिए अदालत का रुख करना होगा। अगर इस कार्यकाल के दौरान किसी भी मामले में उसे दो साल या उससे अधिक की सजा हो जाती है तो उसे अयोग्य करार कर दिया जाएगा। एडवोकेट गोरसी का कहना है कि अब जब वे भारी बहुमत से सांसद बने हैं तो सभी को लोगों के मैंडेट का स्वागत करना चाहिए।

12 मामले हैं अमृतपाल पर

अगर सरकार चुनावों के परिणाम देखते हुए तीन महीने की अवधी खत्म होने के बाद NSA हटाने का फैसला लेती है तो भी अमृतपाल सिंह को अदालतों के फेर में फंसे रहना पड़ेगा। अमृतपाल सिंह पर अजनाला थाने पर अवैध हथियारों के साथ हमला करने सहित 12 मामले विभिन्न थानों में दर्ज है।

इतना ही नहीं, एक मामला उस पर असम के थाने में भी दर्ज है। जिसमें उससे पुलिस ने सर्च के दौरान डिब्रूगढ़ जेल से इलेक्ट्रानिक गैजेट्स बरामद किए थे। अमृतपाल अगर NSA से निकल जाता है तो पुलिस हर मामले में उसे हिरासत में लेती रहेगी। हर मामले में उसे बेल लेनी होगी। वहीं, अगर किसी मामले में 2 साल से अधिक की सजा हो गई तो अमृतपाल की संसद की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।

खाते में थे 1000 रुपए, अब मिलेंगे लाखों

अमृतपाल सिंह की बात करें तो उसके एफिडेविट से उसकी पत्नी किरणदीप कौर के बैंक एकाउंट्स डिटेल्स को अलग कर दिया जाए तो सिर्फ 1 हजार रुपए बचते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अमृतपाल सिंह को हर महीने वेतन के साथ कई सरकारी भत्ते जैसे ऑफिस खर्च भी मिलेगा।

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